मुझको कहने उनको
के मैं आज भी जिन्दा हूँ
मैं नाकाम सही,
मगर जिन्दगी नाकाम नहीं
मेरी हसरतें, मेरी ख्वाहिशें
बेमकसद-बेमानी ही सही
चलो फिर से दीवानगी की हद से गुजर जाएँ
नज़रों में किसी के नज़र अंदाज़ ना हो
चलो आज कुछ ऐसा कर जायें
गम की शाम ही तो है
गुजर जाएगी
क्या हुआ जो उसे अँधेरी रात का साथ है
शाम ही तो है, उसे गुजरना ही है
फिर होगी नई भोर,
नए जुनून के साथ
पाने को मेरी हसरतें, मेरी ख्वाहिशे
बेमकसद-बेमानी ही सही
चलो फिर से दीवानगी की हद से गुजर जाएँ
नज़रों में किसी के नज़र अंदाज़ ना हो
चलो आज कुछ ऐसा कर जायें
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राज आनंद
Monday, September 20, 2010
Thursday, September 9, 2010
एक राज़
एक राज तुम्हारे दिल में है
एक राज हमारे दिल में
एक राज कहीं वीरानो में है
एक राज भरी महफ़िल में
एक राज को तुमने अपनाया
एक राज को तुमने ठुकरा दिया
एक राज को तुमने खुशियाँ दी
एक राज को तुमने रुला दिया
काश तुमने राज़ को जाना होता
दिल की नज़रों से पहचाना होता
तेरा राज था मैं, हमराज़ था मैं
तेरे दिल की धडकनों की आवाज़ था मैं
अंत तक साथ निभाने का वडा कर लिया मैंने
शायद यूँ ही जीने का इरादा कर लिया मैंने
मैं जानता हूँ एक दिन भूल जाओगे हमें
मगर जिन्दगी के हर मोड़ पर पाओगे हमे!!
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राज आनंद
एक राज हमारे दिल में
एक राज कहीं वीरानो में है
एक राज भरी महफ़िल में
एक राज को तुमने अपनाया
एक राज को तुमने ठुकरा दिया
एक राज को तुमने खुशियाँ दी
एक राज को तुमने रुला दिया
काश तुमने राज़ को जाना होता
दिल की नज़रों से पहचाना होता
तेरा राज था मैं, हमराज़ था मैं
तेरे दिल की धडकनों की आवाज़ था मैं
अंत तक साथ निभाने का वडा कर लिया मैंने
शायद यूँ ही जीने का इरादा कर लिया मैंने
मैं जानता हूँ एक दिन भूल जाओगे हमें
मगर जिन्दगी के हर मोड़ पर पाओगे हमे!!
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राज आनंद
कल की बातें
कल के बातें
हम कैसे भुला दें
कैसे भुला दें हम बीते पलों को
उन मधुर क्षणों को
उस हसीं सफ़र को
कैसे भुला दें हम
वो गुलाब की कलियाँ
उनके साँसों की खुशबु
वो मोहब्बत की महफ़िल
वो दिलों के नगमे
हम कैसे भुला दें
उनकी भीगी पलकें
कभी नज़रें झुका के मुस्कराना
कभी खिल खिलाकर हँसना
कैसे भुला दें हम
कल की बातें
हमारी धडकनों में बसी हैं
कल की बातें हम
कैसे भुला दें.....!!!
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राज आनंद
हम कैसे भुला दें
कैसे भुला दें हम बीते पलों को
उन मधुर क्षणों को
उस हसीं सफ़र को
कैसे भुला दें हम
वो गुलाब की कलियाँ
उनके साँसों की खुशबु
वो मोहब्बत की महफ़िल
वो दिलों के नगमे
हम कैसे भुला दें
उनकी भीगी पलकें
कभी नज़रें झुका के मुस्कराना
कभी खिल खिलाकर हँसना
कैसे भुला दें हम
कल की बातें
हमारी धडकनों में बसी हैं
कल की बातें हम
कैसे भुला दें.....!!!
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राज आनंद
एक कविता
एक कविता
मेरे जहन में आती...
सुन्दर, संचल, जीवंत कविता
ढेर सा प्यार लिए
जहां भर की खुशियों के साथ
प्यारी सी एक कविता
मेरे जहन में आती॥
मुस्कराती सी, शर्माती सी...
गुनगुनाती सी, लजाती सी...
एक कविता छोटी सी
आनंद का मधुर एहसास लिए
सुख की अनुभूति लिए
प्रेम के सन्देश के साथ।
मेरे जहन में आकर
मुझे प्रेम में डुबोकर
मेरे सपनो में खो कर
जाने कहाँ विलुप्त हो जाती।
जब भी मैं उदास होता
वो नन्ही कविता मेरे जहन में आती
मुझे प्रेम और सुख के अनुभूति दे जाती॥
..........
राज आनंद
मेरे जहन में आती...
सुन्दर, संचल, जीवंत कविता
ढेर सा प्यार लिए
जहां भर की खुशियों के साथ
प्यारी सी एक कविता
मेरे जहन में आती॥
मुस्कराती सी, शर्माती सी...
गुनगुनाती सी, लजाती सी...
एक कविता छोटी सी
आनंद का मधुर एहसास लिए
सुख की अनुभूति लिए
प्रेम के सन्देश के साथ।
मेरे जहन में आकर
मुझे प्रेम में डुबोकर
मेरे सपनो में खो कर
जाने कहाँ विलुप्त हो जाती।
जब भी मैं उदास होता
वो नन्ही कविता मेरे जहन में आती
मुझे प्रेम और सुख के अनुभूति दे जाती॥
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राज आनंद
Saturday, August 7, 2010
बंद पलकें
बंद पलकें
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा।
खुशियाँ- गम, आंसू - हसी,
हर राज़ जिन्दगी का नज़र आने लगा ॥
सारे सपने टूटते देखे हमने
हमसफ़र छूटते देखे हमने
कभी अपने ही लूटते देखे हमने....
जब सब कोहरा सा नज़र आने लगा,
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा॥
जिनसे वफ़ा की उम्मीद थी हमको
उनकी दगा भी सह ली हमने...
जो दिल के करीब थे इतना,
उनकी दगा भी सह ली हमने...
जब साया भी मुझसे कतराने लगा
अँधेरा सा दिल में छाने लगा...
नज़रें अपनी मूँद ली हमने,
गम के सागर में डूब गए सपने,
मेरे अपनों का डर मुझे जब सताने लगा !
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा॥
राज आनंद
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा।
खुशियाँ- गम, आंसू - हसी,
हर राज़ जिन्दगी का नज़र आने लगा ॥
सारे सपने टूटते देखे हमने
हमसफ़र छूटते देखे हमने
कभी अपने ही लूटते देखे हमने....
जब सब कोहरा सा नज़र आने लगा,
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा॥
जिनसे वफ़ा की उम्मीद थी हमको
उनकी दगा भी सह ली हमने...
जो दिल के करीब थे इतना,
उनकी दगा भी सह ली हमने...
जब साया भी मुझसे कतराने लगा
अँधेरा सा दिल में छाने लगा...
नज़रें अपनी मूँद ली हमने,
गम के सागर में डूब गए सपने,
मेरे अपनों का डर मुझे जब सताने लगा !
बंद पलकों में मुझे संसार नज़र आने लगा॥
राज आनंद
बस Ek Pal
जब वो पल गुजरने लगा,
धडकनों के साथ आगे बदने लगा,
हमने पूछा के इनती जल्दी क्या है...
एक पल जरा और ठहरो,
फिर चाहो तो चले जाना॥
अभी तो नज़र भर देखा भी नहीं,
अभी तो नयन प्यासे हैं मेरे..
अभी तो दिल भरा भी नहीं
एक पल जरा और ठहरो
फिर चाहो तो चले जाना।।
दिल में बहूत अरमान बाकी हैं मेरे...
कुछ सपने भी हैं, कुछ आरजूएं भी हैं,
एक बार वो दिल में समां जाए,
मन की बात जुबां पे आ जाए...
चाहो तो फिर चले जाना !!
अभी तो बहुत कुछ कहना है मुझे,
अभी तो बहुत कुछ सुनना है मुझे...
बस जरा सो इंतज़ार कर ले...
लबो से वो इकरार कर ले,
दो घडी वो मुझे प्यार कर ले
चाहो तो फिर चले जाना !!
raj anand
धडकनों के साथ आगे बदने लगा,
हमने पूछा के इनती जल्दी क्या है...
एक पल जरा और ठहरो,
फिर चाहो तो चले जाना॥
अभी तो नज़र भर देखा भी नहीं,
अभी तो नयन प्यासे हैं मेरे..
अभी तो दिल भरा भी नहीं
एक पल जरा और ठहरो
फिर चाहो तो चले जाना।।
दिल में बहूत अरमान बाकी हैं मेरे...
कुछ सपने भी हैं, कुछ आरजूएं भी हैं,
एक बार वो दिल में समां जाए,
मन की बात जुबां पे आ जाए...
चाहो तो फिर चले जाना !!
अभी तो बहुत कुछ कहना है मुझे,
अभी तो बहुत कुछ सुनना है मुझे...
बस जरा सो इंतज़ार कर ले...
लबो से वो इकरार कर ले,
दो घडी वो मुझे प्यार कर ले
चाहो तो फिर चले जाना !!
raj anand
Wednesday, June 9, 2010
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